विद्याशंकर मंदिर, श्रृंगेरी: एक अद्भुत स्थापत्य


निर्माण:- 
विद्याशंकर मंदिर का निर्माण 1338 ईस्वी में विद्यारण्य नामक एक ऋषि ने करवाया था। विद्यारण्य विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों के संरक्षक थे और 14वीं सदी में यहां रहते थे। माना जाता है कि उन्होंने अपने गुरु विद्यातीर्थ की समाधि पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

स्थापत्य:-यह मंदिर द्रविड़, चालुक्य, दक्षिण भारतीय और विजयनगर स्थापत्य शैली का एक अनूठा संगम है। मंदिर की छत वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। मंदिर के मंडप में बारह खंभे हैं जो 12 राशि चक्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि हर सुबह सूर्य की किरणें सिर्फ उसी माह की राशि वाले स्तंभ पर पड़ती हैं जो माह उस समय चल रहा होता है।


विशेषताएं:-

 * सूर्य की किरणें: मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है सूर्य की किरणों का बारह खंभों पर पड़ना जो 12 महीनों का प्रतिनिधित्व करता है। यह खगोलीय गणना का एक अद्भुत उदाहरण है।

 * शिलालेख: मंदिर में कई शिलालेख हैं जो विजयनगर साम्राज्य के योगदान को दर्शाते हैं।

 * विद्याशंकर लिंग: मंदिर के गर्भगृह में विद्याशंकर लिंग की पूजा की जाती है।

क्यों जाएँ:-

 * धार्मिक महत्व: यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

 * वास्तुकला: मंदिर की अद्भुत वास्तुकला इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाती है।

 * शांति: मंदिर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है।


कैसे पहुंचें:-

 * हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर है।

 * रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन उडुपी है।

 * सड़क मार्ग: श्रृंगेरी कर्नाटक के अधिकांश प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।

अन्य जानकारी:-

 * दर्शन समय: सुबह 7:00 बजे से 1:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से 8:30 बजे तक।

 * प्रवेश शुल्क: निःशुल्क

 * बेहतर समय जाने का: अक्टूबर से मार्च

निष्कर्ष:-

विद्याशंकर मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और खगोलीय गणना के लिए प्रसिद्ध है। यदि आप कर्नाटक की यात्रा कर रहे हैं, तो आपको इस मंदिर को अवश्य देखना चाहिए।


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